जिस तरह सृष्टि को आलोकित करने का काम सूर्य करता है उसी तरह जीवन में खुशियां भरने के लिए सूर्य देव को प्रसन्न करना बेहद जरूरी है। प्राचीन काल से ही भारतीय ऋषि-मुनि सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म बेला में या ठीक सूर्योदय के समय नदी में स्नान करते थे और स्नान के उपरांत भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करते थे।
सूर्य नमस्कार का महत्व
सूर्यदेव पूरे ब्रह्मांड की केन्द्रक शक्ति माने जाते हैं। जीवन में प्रकाश, ज्ञान, ऊर्जा, ऊष्मा, जीवन शक्ति के संचार और रोगाणु-किटाणु (भूत-प्रेत-पिशाचादि) के नाश के लिये जगत के समस्त जीव सूर्यदेव पर निर्भर हैं। सूर्य नमस्कार करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और हमारे जीवन में अज्ञानता के अंधकार को दूर कर शक्ति का संचार करते हैं। सूर्य नमस्कार वैसे तो एक सर्वांग व्यायाम है लेकिन यह व्यायाम के साथ सूर्योपासना का तरीका भी है विधिवत पूजा करने से जो पुण्य प्राप्त होता है उसके समान पुण्य ही सूर्यदेव को प्रात:काल सूर्य नमस्कार करने मिलता है।
कितनी बार करें सूर्य नमस्कार
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य नमस्कार 13 बार करना चाहिये। हर बार सूर्य नमस्कार के साथ-साथ ॐ मित्राय नमः, ॐ रवये नमः, ॐ सूर्याय नमः, ॐ भानवे नमः, ॐ खगाय नमः, ॐ पूष्णे नमः, ॐ हिरण्यगर्भाय नमः, ॐ मरीचये नमः, ॐ आदित्याय नमः, ॐ सवित्रे नमः, ॐ अर्काय नमः, ॐ भास्कराय नमः, ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः इन तेरह मंत्रो का उच्चारण भी अवश्य करना चाहिये।
यह भी रखें ध्यान
सूर्य को जल सदैव प्रात:काल में चढ़ाएं। 6 से 7 बजे प्रात: का समय उपयुक्तय है। अधिक विलम्ब से न चढ़ाएं। अधिकाधिक आठ बजे तक जल अवश्य चढ़ा लें। सूर्य को जल चढ़ाते समय सीधा उसे न देखें। सूर्य को जल चढ़ाते समय जल की जो धारा आप बनाते हैं उसमें सूर्य रश्मियों या सूर्य के दर्शन करें। जल चढ़ाने के उपरान्त सूर्य देवता से अपने समस्त् गलतियों की क्षमा याचना करते हुए उनसे प्रार्थना करें-‘हे सूर्य देव! मुझसे जो भी भूलचूक हो गई हैं या मैंने जो गलतियां की हैं, कृपया उन्हें क्षमा कर दें। मुझे स्वास्थ्य प्रदान करें। मेरे नेत्रों के समस्त कष्ट दूर करते हुए उसमें ज्योति बढ़ाएं। स्वयं सदृश मेरा यश बढ़ाएं। मुझ पर अपनी कृपा सदैव बनाएं रखें। मुझे आशीर्वाद दें जिससे मैं अपना मनुष्यं जीवन सार्थक कर पाऊं।
सूर्य नमस्कार का महत्व
सूर्यदेव पूरे ब्रह्मांड की केन्द्रक शक्ति माने जाते हैं। जीवन में प्रकाश, ज्ञान, ऊर्जा, ऊष्मा, जीवन शक्ति के संचार और रोगाणु-किटाणु (भूत-प्रेत-पिशाचादि) के नाश के लिये जगत के समस्त जीव सूर्यदेव पर निर्भर हैं। सूर्य नमस्कार करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और हमारे जीवन में अज्ञानता के अंधकार को दूर कर शक्ति का संचार करते हैं। सूर्य नमस्कार वैसे तो एक सर्वांग व्यायाम है लेकिन यह व्यायाम के साथ सूर्योपासना का तरीका भी है विधिवत पूजा करने से जो पुण्य प्राप्त होता है उसके समान पुण्य ही सूर्यदेव को प्रात:काल सूर्य नमस्कार करने मिलता है।
कितनी बार करें सूर्य नमस्कार
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य नमस्कार 13 बार करना चाहिये। हर बार सूर्य नमस्कार के साथ-साथ ॐ मित्राय नमः, ॐ रवये नमः, ॐ सूर्याय नमः, ॐ भानवे नमः, ॐ खगाय नमः, ॐ पूष्णे नमः, ॐ हिरण्यगर्भाय नमः, ॐ मरीचये नमः, ॐ आदित्याय नमः, ॐ सवित्रे नमः, ॐ अर्काय नमः, ॐ भास्कराय नमः, ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः इन तेरह मंत्रो का उच्चारण भी अवश्य करना चाहिये।
यह भी रखें ध्यान
सूर्य को जल सदैव प्रात:काल में चढ़ाएं। 6 से 7 बजे प्रात: का समय उपयुक्तय है। अधिक विलम्ब से न चढ़ाएं। अधिकाधिक आठ बजे तक जल अवश्य चढ़ा लें। सूर्य को जल चढ़ाते समय सीधा उसे न देखें। सूर्य को जल चढ़ाते समय जल की जो धारा आप बनाते हैं उसमें सूर्य रश्मियों या सूर्य के दर्शन करें। जल चढ़ाने के उपरान्त सूर्य देवता से अपने समस्त् गलतियों की क्षमा याचना करते हुए उनसे प्रार्थना करें-‘हे सूर्य देव! मुझसे जो भी भूलचूक हो गई हैं या मैंने जो गलतियां की हैं, कृपया उन्हें क्षमा कर दें। मुझे स्वास्थ्य प्रदान करें। मेरे नेत्रों के समस्त कष्ट दूर करते हुए उसमें ज्योति बढ़ाएं। स्वयं सदृश मेरा यश बढ़ाएं। मुझ पर अपनी कृपा सदैव बनाएं रखें। मुझे आशीर्वाद दें जिससे मैं अपना मनुष्यं जीवन सार्थक कर पाऊं।
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