चटगांव। विश्व महिला दिवस पर दुनियाभर में महिलाओं के संघर्ष, उत्थान और विकास की बातें होंगी, तो आइए, हम आपको एक ऐसी महिला से मिलवाते हैं जो पूरे एशिया में महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं। मुस्लिम देश बांगलादेश में मोसम्मत जैसमिन इकलौती महिला हैं जो सडक़ पर रिक्शे पर लोगों को ढोते हुए दिखाई देती है।
महिलाओं के लिहाज से बांग्लादेश बेहद पिछड़ा माना जाता है और यहां महिलाओं को ‘पर्दे और अदब’ की दीवारों में बंधे रहना पड़ता है। ऐसे समाज में मोसम्मत जैसमिन अपनी बुलंद सोच और फौलादी इरादे के दम पर रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं।
मर्द ने छोड़ा साथ तो खुद बनी मर्दानी
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महिलाओं के लिहाज से बांग्लादेश बेहद पिछड़ा माना जाता है और यहां महिलाओं को ‘पर्दे और अदब’ की दीवारों में बंधे रहना पड़ता है। ऐसे समाज में मोसम्मत जैसमिन अपनी बुलंद सोच और फौलादी इरादे के दम पर रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं।
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