Thursday 31 August 2017

हिन्दी सिनेमा के 15 पात्र, जिन्होंने दिए कुछ गंभीर जीवन लक्ष्य

सिनेमा अभिव्यक्ति का वो माध्यम है जो दर्शकों पर अपनी गहरी छाप छोडता है। कई बार कथाकार अपनी कलम से ऐसे पात्रों की रचना कर देते हैं जो दर्शकों के दिमाग में एक अमिट छाप छोड देते हैं। फिल्म के पात्रों का दर्शकों के साथ सीधा संबंध होता है और दर्शक फिल्म देखने के बाद उन भूमिकाओं को याद करते हुए सिनेमाघरों से बाहर निकलता है। 100 साल से ज्यादा पुराने भारतीय सिनेमा इतिहास में यूं तो कई ऐसे किरदार हैं जिन्हें दर्शक भूल नहीं पाये हैं लेकिन हम आज आपको 15 ऐसे पात्रों की याद दिलाना चाहेंगे जिन्होंने दर्शकों को जीवन में महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों को दिया है। आइये डालते हैं एक नजर इन किरदारों/पात्रों पर—
बन्नी (रणबीर कपूर) ये जवानी है दीवानी
करण जौहर के बैनर तले बनी इस फिल्म में रणबीर कपूर ने ‘बन्नी’ नामक युवक की भूमिका निभाई थी। इस किरदार की सबसे बडी विशेषता इसकी दृढता थी। वह जिन्दगी को जीने के सपने देखता था और उन्हीं पर दृढ रहता था। जीवन में आने वाली कठिनाइयों और असफलताओं के बावजूद वह जो सोचता था, चाहता था उसका पीछा करता था और सफल होता। इस पात्र ने युवाओं को बहुत प्रभावित किया।
लैला (कैटरीना कैफ) जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा
जोया अख्तर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में कैटरीना कैफ ने ‘लैला’ नामक युवती की भूमिका अदा की, जिसके लिए उनकी काफी सराहना की गई थी। आशावादी, आधुनिक, मजेदार और स्वतंत्र—यही लैला है। वह वर्तमान में रहती है, वह जीवन को प्यार करती है, जैसा कि वह जानती है कि यह सुंदर है और दूसरों को इसका अहसास कराती है। उसे अपने द्वारा किये गये कृत्यों के लिए कोई पछतावा नहीं है।
रानी (कंगना रनौत) क्वीन
विकास बहल ने एक ऐसे पात्र को रचा जिसने महिलाओं में जबरदस्त आत्मविश्वास जगाया। उन्हें इस बात का अहसास कराया कि वे चाहें तो जिन्दगी में बहुत कुछ कर सकती हैं। सिर्फ अपने हौंसले को मजबूत करना है। एक डरपोक लडकी से एक आश्वस्त महिला बनने की साहसी कथा थी क्वीन।
रोमिला दत्ता (प्रीति जिंटा) लक्ष्य
रोमिला दत्ता के रूप में एक आकांक्षापूर्ण पत्रकार का किरदार, जो महिलाओं को प्रोत्साहन देता है। इस किरदार का कहना है अपने लक्ष्य को मत भूलो, इसके रास्ते में आने वाली बाधाओं से डरो नहीं बल्कि उन्हें दूर करो और अपना लक्ष्य अर्जित करो।
करण शेरगिल (ऋतिक रोशन) लक्ष्य
फरहान अख्तर निर्देशित फिल्म का यह किरदार हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम क्योंकर ‘मैं ऐसा क्यूं हूं’ कहते हैं। इस पात्र ने अपनी महत्त्वाकांक्षा को पालने का तरीका दिखाया। इसने इस बात को सिखाया कि किस तरह से हम अपनी महत्त्वाकांक्षा का पालन कर सकते हैं। चौबीसों घंटे अपनी महत्त्वाकांक्षा को सामने रखो और उसे पाने के लिए प्रयासरत रहो, एक न एक दिन आप उसे प्राप्त कर ही लेंगे। फरहान की कलम से निकला बेहतरीन पात्र जो भुलाये नहीं भूलता।
गीत (करीना कपूर खान) जब वी मेट
गुजरे और आने वाले पल से ज्यादा अपने वर्तमान पल को जीयो। इस पल को जितना खुशी से बिता सकते हो बिताओ यही जिन्दगी है। आने वाला पल कैसा होगा और जो बीत गया वो कैसा था, उस पर विचार करने या अफसोस करने से अच्छा है जो चल रहा है उसे जियो। इम्तियाज अली की फिल्म जब वी मेट की गीत का किरदार यही संदेश देता है। यह कहता है हमारे पास हमारे भविष्य पर कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए सबसे बेहतर है वो लम्हा जिसमें हम रह रहे हैं, उसके लिए हमें कोई पछतावा नहीं होना चाहिए।
शिवानी शिवाजी राय (रानी मुखर्जी) मर्दानी
जहांगीर खान (डिअर जिन्दगी) शाहरुख खान
आयशा (वेकअप सिड) कोंकणा सेन
विद्या बागची (विद्या बालन) कहानी
मिशेल मैकनेली (रानी मुखर्जी) ब्लैक
कबीर खान (चक दे इंडिया) शाहरुख खान
भुवन (आमिर खान) लगान
शशि गोडबोले (इंग्लिश विंग्लिश) श्रीदेवी
हरप्रीत सिंह बेदी (रणबीर कपूर) रॉकेट सिंह सेल्समेन ऑफ द ईयर
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