Wednesday 9 August 2017

जानें-पीएम मोदी को कैसा नेता मानते है चीनी राष्ट्रपति!

वॉशिंगटन।सिक्किम के डोकलाम क्षेत्र में चीनी और भारतीय सेना के बीच तनातनी जारी है। ऐसे में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नजर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे नेता है, जो भारतीय हितों के लिए लड़ेंगे। पीएम मोदी को चीनी राष्ट्रपति एक ऐसे नेता के रूप में देखते हैं जो भारत के हितों के लिए खड़े हो और हर क्षेत्र में चीन को रोकने के इच्छुक देशों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। ये विचार एक टॉप अमेरिकी चीनी विशेषज्ञ के हैं। सेन्टर फॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनेशनल स्टडीज की बोनी एस. ग्लेसर ने एक इंटरव्यू में कहा, मेरा मानना है कि शी चिनफिंग प्रधानमंत्री मोदी को एक ऐसे नेता के रूप में देखते हैं जो भारतीय हितों के लिए खड़े रहना और क्षेत्र में चीन को रोकने के इच्छुक अन्य देशों, खासतौर से अमेरिका और जापान के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं और मुझे लगता है इसी बात से चीन चिंतित है।
एशिया के लिए वरिष्ठ सलाहकार और वॉशिंगटन डीसी स्थित शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक सीएसआईएस में चाइना पावर प्रॉजेक्ट की निदेशक ग्लेसर का मानना है कि चीन को भारत के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों से कुछ लाभ होता नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा, शुरुआत में शी चिनफिंग दिल्ली गए और पीएम मोदी से रिश्ते कायम करने की कोशिश की। मुझे लगता है कि उन्हें उम्मीद थी कि भारत ऐसी नीति अपनाएगा जो चीनी हितों को चुनौती नहीं देगी। लेकिन दक्षिण चीन सागर में उनकी गतिविधियां जारी रहने के कारण ऐसा नहीं हो पाया। डोकलाम में घटनाक्रमों पर करीबी नजर रख रहे ग्लेसर ने कहा, हिंद महासागर और अन्य समुद्री क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच जाहिर तौर पर मतभेद हैं। चीन को भारत के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों से लाभ होता नहीं दिख रहा है। आखिरकार दोनों देशों के बीच लंबी साझा सीमा है।
ग्लेसर ने कहा कि चीन लंबे समय में अपने लिए भारत को एक मुख्य चुनौती मानता है। उन्होंने कहा, चीन भारत को सबसे बड़ी उभरती शक्ति के रूप में देखता है जो दीर्घावधि में उसके लिए चुनौतियां पैदा कर सकता है। आने वाले समय में चीन क्षेत्र में उसकी बढ़ती शक्ति को चुनौती देने के लिए जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे अन्य देशों के साथ भारत के सहयोग को लेकर चिंतित है, यह नकारात्मक है। ग्लेसर ने कहा कि दुनिया में भारत ही इकलौता देश है जो चीन के वन वेल्ट ऐंड वन रोड पहल का स्पष्ट रूप से विरोध करता है। उन्होंने कहा, चीन यह नहीं मानता कि भारत से उसे कोई खास सैन्य खतरा है। उदाहरण के लिए चीन अपनी सुरक्षा के लिए भारत के परमाणु शस्त्रों को बड़ा खतरा नहीं मानता है लेकिन भारत को राजनीतिक खतरे के रूप में देखता है क्योंकि उसका चीन को रोकने के लिए अन्य शक्तियों के साथ सहयोग है।
अगर डोकलाम गतिरोध जारी रहता है तो भारत का रुख और उसके नतीजों का क्षेत्र में अन्य देशों पर बड़ा असर पड़ सकता है खासतौर से उन देशों पर जिनका चीन के साथ सीमा विवाद है। ग्लेसर ने कहा, अगर चीन जीत जाता है या दूसरे शब्दों में भारत अपनी सेना वापस बुला लेता है तो चीन आगे बढऩे और सडक़ बनाने में कामयाब हो जाएगा और आखिरकार भारत और भूटान को इसे स्वीकार करना पड़ेगा, वह भी यह जानते हुए कि यह उनके खासतौर से भारत के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।

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